इतिहास के काले पन्नों पर दर्ज है इस कार का नाम जो होगी नीलाम, कीमत सुनकर उड़ जाएंगे होश
मर्सडीज़ की 770के ग्रॉसर दुनिया में सिर्फ 5 ही बची हैं और इनमें से एक कार ऐसी है जो दुनिया के सबसे बड़े तानाशाहों में से एक अडॉल्फ हिटलर ने इस्तेमाल की थी. इन 5 कारों में से 2 म्यूज़ियम में रखी गई हैं और 3 निजी हाथों में है. जल्द ही इस कार को नीलाम किया जा सकता है. टैप पर जानें क्या हो सकती है कीमत?
हाइलाइट्स
- मर्सडीज़-बैंज़ 770के ग्रॉसर अडॉल्फ हिटलर द्वारा इस्तेमाल की गई थी
- नीलामी में इस लिमोज़िन की बोली लगभग 65-70 करोड़ रुपए होगी
- यह कार दुनिया की आखरी 5 कारों में और 3 निजी हाथों में से एक है
मर्सडीज़ की क्लासिक विंटेज कारों की बात की अलग है और अगर क्लासिक मॉडल मर्सडीज़-बैंज़ 770के ग्रॉसर की बात की जाए तो यह एक ऐसी कार है जो अब दुनिया में कुछ ही बची हैं. हाल ही में इनमें से एक कार की नीलामी की जानें वाली है और आपको सुनकर हैरानी होगी कि ये कार दुनिया की सबसे नामचीन तानाशाहों में से एक अडॉल्फ हिटलर द्वारा इस्तेमाल की गई थी. इस कार को 1930 में बनाया गया था और मर्सडीज़-बैंज़ ग्रॉसर या ग्रैंड का असली रजिस्ट्रेशन नंबर आईए148461 वाली कार कई बार जर्मनी के इस तानाशाह ने अपनी रैलियों में इस्तेमाल की थी. इस कार का चेसिस नंबर 189744 है और यह कार दुनिया की आखरी 5 कारों में से एक है. इनमें से भी सिर्फ 3 कारें निजी हाथों में है और दो कारों को म्यूज़ियम में रखा गया है.
कार ऐसी है जो दुनिया के सबसे बड़े तानाशाहों में से एक अडॉल्फ हिटलर ने इस्तेमाल की थी
मर्सडीज़-बैंज़ की इस कार का सबसे प्रचलित फोटोग्राफ 1940 का है जब फ्रांस पर जीत के बाद अडॉल्फ हिटलर ने बर्लिन की ग्रैंड परेड में हिस्सा लिया था. 1941 में युगोसलाविया और ग्रीस की हार के बाद भी समारोह के दौरान इस कार का इस्तेमाल किया गया था. मर्सडीज़ 770के एक हथियारबंद कार थी और इसे ज्यादा इस्तेमाल भी नहीं किया गया था. अमेरिकी सेना ने जब इस कार को कब्जे में लिया और इसका इतिहास जाने बिना इसे लगभग कई महीने तक मिलिट्री के सवारी वाहन के रूप में इस्तेमाल किया गया. 1946 में इस कार को बेल्जियम के एक ग्राहक को बेच दिया गया और बाद में इसे अमेरिका के एक तंबाकू व्यापारी को बेच दिया गया. इस तंबाकू व्यापारी ने इस कार को नॉर्थ कैरोलीना में म्यूज़ियम को दान कर दिया.
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इन 5 कारों में से 2 म्यूज़ियम में रखी गई हैं और 3 निजी हाथों में है
लास वेगस के एक कसीनो ऑपरेटर ने बाद में इस कार को खरीदा जो हिटलर थीम की पार्टियां आयोजित करता था. कसीनो ऑपरेटर की मौत के बाद इस कार को दोबारा यूरोप ले जाया गया जहां रूस के एक धनाड्य व्यापारी के कार कलैक्शन का यह अब भी हिस्सा बनी हुई है. जहां साधारण मर्सडीज़-बैंज़ 770के जैसी विंटेज कारें 30-35 करोड़ रुपए की कीमत पर बेची जा रही हैं, वहीं इस कार के साथ तो दुनिया के सबसे बड़े तानाशाहों में से एक हिलटर का इतिहास जुड़ा हुआ है. ऐसे में इस कार की नीलामी की बोली इससे दुगनी कीमत यानी 65-70 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है. हालांकि इस कार के साथ इतिहास जुड़ा हुआ है इसीलिए कुछ संगठन ऐसे भी हैं जो इस कार को बेचे जानें का विरोध कर रहे हैं.
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मर्सडीज़-बैंज़ की इस कार का सबसे प्रचलित फोटोग्राफ 1940 का है जब फ्रांस पर जीत के बाद अडॉल्फ हिटलर ने बर्लिन की ग्रैंड परेड में हिस्सा लिया था. 1941 में युगोसलाविया और ग्रीस की हार के बाद भी समारोह के दौरान इस कार का इस्तेमाल किया गया था. मर्सडीज़ 770के एक हथियारबंद कार थी और इसे ज्यादा इस्तेमाल भी नहीं किया गया था. अमेरिकी सेना ने जब इस कार को कब्जे में लिया और इसका इतिहास जाने बिना इसे लगभग कई महीने तक मिलिट्री के सवारी वाहन के रूप में इस्तेमाल किया गया. 1946 में इस कार को बेल्जियम के एक ग्राहक को बेच दिया गया और बाद में इसे अमेरिका के एक तंबाकू व्यापारी को बेच दिया गया. इस तंबाकू व्यापारी ने इस कार को नॉर्थ कैरोलीना में म्यूज़ियम को दान कर दिया.
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लास वेगस के एक कसीनो ऑपरेटर ने बाद में इस कार को खरीदा जो हिटलर थीम की पार्टियां आयोजित करता था. कसीनो ऑपरेटर की मौत के बाद इस कार को दोबारा यूरोप ले जाया गया जहां रूस के एक धनाड्य व्यापारी के कार कलैक्शन का यह अब भी हिस्सा बनी हुई है. जहां साधारण मर्सडीज़-बैंज़ 770के जैसी विंटेज कारें 30-35 करोड़ रुपए की कीमत पर बेची जा रही हैं, वहीं इस कार के साथ तो दुनिया के सबसे बड़े तानाशाहों में से एक हिलटर का इतिहास जुड़ा हुआ है. ऐसे में इस कार की नीलामी की बोली इससे दुगनी कीमत यानी 65-70 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है. हालांकि इस कार के साथ इतिहास जुड़ा हुआ है इसीलिए कुछ संगठन ऐसे भी हैं जो इस कार को बेचे जानें का विरोध कर रहे हैं.
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