2020 मारुति सुज़ुकी एस-क्रॉस रिव्यू: पेट्रोल ने ली डीज़ल की जगह
हाइलाइट्स
शायद ही कभी ऐसा होता है कि एक ब्रांड को 2 सालगिराह मनाने का मौका एक साथ मिलता है. हम बारे में बात कर रहे हैं मारुति सुज़ुकी नेक्सा और एस-क्रॉस की. एस-क्रॉस, ब्रांड नेक्सा के तहत लॉन्च होने वाली पहली कार थी और इसने मारुति के प्रीमियम ब्रांड का झंडा लहराया है. हालांकि 5 साल बाद बहुत कुछ बदल गया है. दिखने में कार वैसी ही है जिसका हमने 2017 में टेस्ट किया था, लेकिन 3 सालों में और बहुत कुछ बदला है और अगर तकनीक की बात करें तो यह अपडेट सटीक है. कंपनी ने यह वादा निभाया है कि कारें बीएस 6 नियमों का पालन करें और ग्राहकों को कुछ ऐसा खरीदने का मौका दिया जाए जो उन्हे पसंद आए.
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अगर आपको याद हो तो पहले केवल डीज़ल मॉडल था इसलिए यहां दिल बदल गया है.
एक तरह से एस-क्रॉस अब एक बेहतर कार है, हां नज़रें धोखा दे सकती हैं क्योंकि बहुत कुछ बदल गया है. अब कोई डीज़ल इंजन नहीं है और अगर मांग आती है तो मारुति सुज़ुकी इसके बारे में सोचेगी, लेकिन अभी के लिए यह केवल एस-क्रॉस पेट्रोल है. अगर आपको याद हो तो पहले केवल डीज़ल मॉडल था इसलिए यहां दिल बदल गया है. चलिए फिर बात करते हैं इसी चीज़ की, जानते हैं कार के नए इंजन के बारे में.
इंजन
1400 आरपीएम पर बढ़िया टॉर्क मिल जाता है जो चीजों को आसान बनाता है.
हम इसके लिए कोई अजनबी नहीं हैं क्योंकि यह वही 1.5-लीटर मोटर है जिसे हमने XL6, विटारा ब्रेज़ा और यहां तक कि अर्टिगा पर भी देखा है. यह रिफाइंड है और उत्सुक भी, मुझे यह विशेष रूप 5-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स के साथ पसंद आया. शुरु से ही इसको चलाने का मज़ा आता है. 103 बीएचपी बनाते हुए इंजन कोई शोर नहीं करता है और कैबिन शांत है जो दिखाता है कि कंपनी ने कार में एनवीएच पर कितना काम किया है. 1400 आरपीएम पर बढ़िया टॉर्क मिल जाता है जो चीजों को आसान बनाता है, साथ ही क्लच भी अच्छा और हल्का है और यह आपके लिए शहर में ड्राइव करना आसान बनाता है. गियर आसानी से लग जाते हैं और इंजन के साथ स्मार्ट हाइब्रिड तकनीक भी दी गई है जो S-Cross पर स्टेंडर्ड है.
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कार जमीन से काफी ऊँची है और यही एक वजह है कि मारुति सुज़ुकी ने इसे एक एसयूवी कहा है.
कार में दो बैटरियां हैं जिसमें एक lithium ion बैटरी है और दूसरी lead acid. इनमें ब्रेक का इस्तेमाल करके निकलती ऊर्जा जमा होती है जो इंजन स्टार्ट-स्टॉप और टॉर्क असिस्ट में मदद करती है. लिथियम-आयन बैटरी में जमा हुई ऊर्जा पिक-अप के दौरान काम आती है और इसलिए जैसा कि हमने पहले कहा कार चलाने का मज़ा बढ़ाती है. कार जमीन से काफी ऊँची है और यही एक वजह है कि मारुति सुज़ुकी ने इसे एक एसयूवी कहा है. हालाँकि मैं अभी भी इसे crossover कह रहा हूँ.
राइड और हैंडलिंग
ख़राब सड़क कैबिन को बड़े पैमाने पर परेशान नहीं करती है और यह डीज़ल मॉडल जितना ही बढ़िया है.
जो कुछ भी मैं कह रहा हूं, यह मायने नहीं रखता है क्योंकि कार अभी भी सड़कों पर हर तरह की चुनौती का सामना आराम से करती है. हां अगर गढ्ढे ज़्यादा बड़े हों तो उनसे निपटना पड़ता है, लेकिन सवारी आरामदायक ही रहती है. ख़राब सड़क कैबिन को बड़े पैमाने पर परेशान नहीं करती है और यह डीज़ल मॉडल जितना ही बढ़िया है. हां थोड़ा बॉ़डी रोल है लेकिन कुल मिलाकर फेसलिफ्ट जितना ही. इस इंजन ने एस-क्रॉस को ड्राइव करने के तरीके को यकीनन बेहतर बना दिया है. साथ ही कार में फीचर्स भी पहले से कुछ बढ़ गए हैं.
यह सबसे ऊंचा वेरिएंट फ़ीचर्स से भरा हुआ है और इसमें रेन सेंसिंग वाइपर्स और क्रूज़ कंट्रोल के अलावा बहुत कुछ है. लेकिन क्या कैबिन में पहले से कोई बदलाव हैं?
कैबिन
एक बड़ा बदलाव है 7 इंच का टचस्क्रीन स्मार्टप्ले स्टूडियो सिस्टम, जो एंड्रॉइड ऑटो और ऐप्पल कारप्ले से लैस है.
अंदर कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. यह 2017 के फेसलिफ्ट मॉडल के जैसा ही है. लेकिन एक बड़ा बदलाव है 7 इंच का टचस्क्रीन स्मार्टप्ले स्टूडियो सिस्टम, जो एंड्रॉइड ऑटो और ऐप्पल कारप्ले से लैस है. लेकिन और कुछ भी दिया जा सकता था जैसे सनरूफ जिसकी आजकल काफी मांग रहती है. वायरलेस चार्जिंग भी होती तो बढ़िया होता और पिछली सीट पर ऐसी वेंट्स की कमी भी खलती है. जगह का अच्छा एहसास है और सब कुछ आपकी पहुंच के अंदर है.
पिछली सीट पर ऐसी वेंट्स की कमी खलती है.
कीमत और राय
कार 4 वेरिएंट्स के साथ पेश की गई है. यह देखते हुए S-Cross हर तरह के फीचर से लैस होती तो बड़ा फर्क पड़ता. इसलिए कार हमें और चाहने पर मजबूर करती है. लेकिन जब बात कीमत की आती है तो एस-क्रॉस एक मज़बूत बयान देती है और यहां मारुति ने अपना कमाल दिखाया है.
जब बात कीमत की आती है तो एस-क्रॉस एक मज़बूत बयान देती है.
यह रेनॉ डस्टर, निसान किक्स, ह्यून्दे क्रेटा और यहां तक किकिआ सेल्टोस जैसी हर कॉम्पैक्ट एसयूवी से सस्ती है. और मैं सिर्फ सबसे सस्ते वेरिएंट के बारे में बात नहीं कर रहा हूं. बेस वेरिएंट डस्टर की तुलना में रु 10000 रुपये सस्ता है और क्रेटा और सेलटोस से तो इसकी कीमत रु 1.60 लाख कम है. सबसे महंगा वेरिएंट भी क्रेटा से रु 28000 सस्ता है और सेल्टोस से रु 5000 कम है. लेकिन ध्यान रहे कि क्रेटा और सेल्टोस कनेक्टेड कारें हैं और अगर यही आप S-cross पर चाहते हैं तो सुज़ुकी कनेक्ट के लिए रु 10000 अलग से देने होंगे.
S-cross पर सुज़ुकी कनेक्ट के लिए रु 10000 अलग से देने होंगे.
मारुति का बड़ा सर्विस नेटवर्क भी जोड़ दिया जाए और आपके पास एक ऐसा फोर्मूला है जो हमेशा जीतता है. फीचर्स को अलग कर दें तो S-cross पेट्रोल में और कोई कमी नहीं है, क्योंकि हम जानते हैं उस मामले में यह और बेहतर हो सकती है.
Last Updated on August 25, 2020