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सरकार एसीसी बैटरी बनाने के लिए देगी Rs. 18,100 करोड़ के फायदे

उन्नत रसायन विज्ञान सेल (एसीसी) बैटरी के निर्माण के लिए उत्पादन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना कारों में उपयोग होने वाले बैटरी पैक की कीमतों को नीचे लाने में मदद करेगी, जिससे कार निर्माता सस्ते इलेक्ट्रिक वाहनों को पेश कर पाएंगे.
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द्वारा कारएंडबाइक टीम

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प्रकाशित मई 13, 2021

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हाइलाइट्स

    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना “राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री भंडारण कार्यक्रम” को मंजूरी दे दी है. भारी उद्योग मंत्रालय ने इस योजना का प्रस्ताव रखा था. इस योजना के तहत 50 गीगावॉट ऑवर्स और पांच गीगावॉट ऑवर्स की “उपयुक्त” एसीसीबैट्री की निर्माण क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है जिसकी लागत रु 18,100 करोड़ है. एसीसी ऐडवांस्ड स्टोरेज तकनीक की नई पीढ़ी है, जिसके तहत बिजली को इलेक्ट्रो-कैमिकल या रासायनिक ऊर्जा के रूप में सुरक्षित किया जा सकता है. जब जरूरत पड़े, तो इसे फिर से बिजली में बदला जा सकता है.

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    स्टोरेज निर्माताओं का चयन एक पारदर्शी बोली प्रक्रिया के जरिये किया जायेगा और प्रोत्साहन राशि को पांच वर्षों के दौरान दिया जायेगा.

    कई कंपनियों ने इस क्षेत्र में निवेश करना शुरू कर दिया है, लेकिन वैश्विक आंकड़ों के सामने उनकी क्षमता बहुत कम है. एसीसी की मांग भारत में इस समय आयात के जरिये पूरी की जा रही है. राष्ट्रीय ऐडवांस्ड  रासायनिक सेल (एसीसी) बैट्री स्टोरेज से आयात पर यह निर्भरता कम होगी. स्टोरेज निर्माताओं का चयन एक पारदर्शी बोली प्रक्रिया के जरिये किया जायेगा. निर्माण इकाई को दो वर्ष के भीतर काम चालू करना होगा. प्रोत्साहन राशि को पांच वर्षों के दौरान दिया जायेगा.

    यह भी पढ़ें: इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग में तेज़ी लाने के लिए बनेगा सस्ता चार्जिंग ढांचा

    सरकार की मानें तो एसीसी बैट्री स्टोरेज निर्माण परियोजनाओं में लगभग रु 45,000 करोड़ रुपये का सीधा निवेश आएगा जो भारत में बैट्री निर्माण की मांग को पूरा करेगा. उम्मीद की जा रही है कि योजना के तहत एसीसी बैट्री निर्माण से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ेगी और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी, जिसके कारण रु 2,00,000 करोड़ से रु 2,50,000 करोड़ तक की बचत होगी. इस पहल से हर वर्ष लगभग रु 20,000 करोड़ का आयात भी बचेगा.

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