ऑटोमेटिक फीचर्स के बावजूद एक्सीडेंट्स को कम करने के लिए कार में इंसानी जागरूकता सबसे जरूरी
हाइलाइट्स
सड़क सुरक्षा लंबे समय से भारत और वैश्विक मंच पर चर्चा का एक जरूरी विषय रहा है. मर्सिडीज-बेंज का महत्वाकांक्षी लक्ष्य वर्ष 2050 तक सड़क दुर्घटना की संख्या को शून्य तक कम करना है, कंपनी की तकनीक निस्संदेह इस लक्ष्य की दिशा में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है, लेकिन इंसान भी अभी भी इससे बचने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
यह भी पढ़ें: भारत के लिए बनी मर्सिडीज-बेंज GLB और EQB से जुड़ी जानकारी आई सामने
मर्सिडीज-बेंज रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंडिया के तीसरे सड़क सुरक्षा शिखर सम्मेलन में ऑटोनेमेस तकनीक के कार्य करने और दुर्घटना की रोकथाम में इसकी भूमिका पर बोलते हुए मर्सिडीज-बेंज एजी के निदेशक वाहन सुरक्षा, स्थायित्व, जंग संरक्षण, डॉ पॉल डिक ने कहा, " ऑटोनेमेस एक बड़ी भूमिका निभाता है. हम अपने रास्ते पर हैं. यह एक क्रांति नहीं है यह एक विकास है. इन तकनीकों को कार में लाने के लिए हमें हर दिन इस पर काम करना होगा. पहले हमारे पास यह सिर्फ ADAS या सक्रिय सिस्टम जैसी चीज़ें दुर्घटनाओं से बचने के लिए थी, लेकिन जिस तरह से आज ऑटोमेटेड ड्राइविंग हम करते हैं इसमें धीरे-धीरे विकास होता जा रहा है."
मर्सिडीज एस-क्लास और ईक्यूएस अपने घरेलू बाजार जर्मनी में कुछ शर्तों के तहत लेवल 3 ऑटोनेमेस ड्राइविंग कार्यों की पेशकश करती हैं.
पॉल ने कहा कि इन तकनीकों को धीरे-धीरे वैश्विक मंच पर पेश किया जाएगा और अंततः सभी बाजारों तक पहुंच जाएगा. हालांकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एक इंसानी जागरुकता अभी भी आगे बढ़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
डिक ने कहा "ADAS कारों में भी इंसानों का व्यवहार अभी भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि आपको बेल्ट लगानी चाहिए, आपको सीधे स्थिति में होना चाहिए. एक ड्राइवर के रूप में आपको ADAS कार में भी अन्य सभी से कृपया (सीट बेल्ट पहनें) पूछना चाहिए. एक ड्राइवर के तौर पर आप कार में हर किसी की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं."
ADAS तकनीक ने हाल के वर्षों में ऑटोनेमस पर अधिक जोर देने के साथ दुनिया भर में जबरदस्त इजाफा देखा है. अधिक से अधिक कारें अब टक्कर से बचने के कार्यों, यातायात और सड़क चिह्न निगरानी, लेन कीप और लेन चेंजिंग कार्यों के लिए लेवल 2 ऑटोनेमेस तकनीकों के साथ आती हैं.
वैश्विक बाजारों में ADAS तकनीकें धीरे-धीरे मानक बनती जा रही है, विशेष रूप से यूरोप में सभी कारों के साथ अब ऑटोनेमस कार्यक्षमता के कुछ लेवलों की पेशकश की जा रही है. अन्य बाजारों में ADAS सिस्टम अब भारत सहित अधिक प्रचलित हो रहा है और अब निचले क्षेत्रों में भी उपलब्ध है, जिससे यह तकनीक आम लोगों के करीब आ रही है.