भारत ने नए इलेक्ट्रिक वाहन आयात दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दिया; सशर्त 15% शुल्क दर की पेशकश की

हाइलाइट्स
- 35,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य वाले वाहनों पर 15 प्रतिशत आयात शुल्क लागू होगा
- निर्माताओं को भारत में परिचालन के लिए न्यूनतम ₹4,150 करोड़ का निवेश करना होगा
- आयात शुल्क में कटौती 5 वर्ष की अवधि और एक वर्ष में 8,000 यूनिट्स के लिए वैध है
केंद्र सरकार ने विदेशी निर्माताओं द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों का आयात करने की इच्छा रखने वाले कार निर्माताओं को भारत में प्रोडक्शन कार्यों में न्यूनतम रु.4,150 करोड़ (500 मिलियन अमेरिकी डॉलर) निवेश करने पर सहमत होने पर कम आयात शुल्क जैसे उत्पाद शुल्क लाभ प्राप्त होंगे.
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नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, 35,000 अमेरिकी डॉलर (करीब रु.30 लाख ) या उससे ज़्यादा लागत बीमा और माल ढुलाई मूल्य वाले विदेशी कार निर्माताओं द्वारा आयातित इलेक्ट्रिक वाहनों पर मौजूदा 110 प्रतिशत से कम यानी 15 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगेगा. हालाँकि, इसमें अभी भी एक पेंच है.
कार निर्माताओं को कम आयात शुल्क पर या पूर्व निर्धारित मौद्रिक सीमा पूरी होने तक, जो भी पहले हो, 5 साल की अवधि के लिए प्रति वर्ष केवल 8,000 यूनिट्स तक आयात करने की अनुमति होगी. मौद्रिक सीमा स्थानीय परिचालन शुरू करने में निवेश की गई राशि (न्यूनतम रु.4,150 करोड़ ) या अधिकतम रु.6,484 करोड़ का शुल्क छोड़ने की राशि, जो भी कम हो, में से कम है.
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नीति में कहा गया है कि एक वर्ष से अप्रयुक्त कोटा अगले वर्ष में ट्रांसफर किया जा सकेगा. इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन आयात करने की इच्छा रखने वाले कार निर्माताओं को तीन साल की अवधि के भीतर देश में स्थानीय असेंबली संचालन शुरू करना होगा, साथ ही वाहन के लिए 25 प्रतिशत घरेलू मूल्य बदलाव भी हासिल करना होगा. पांचवें वर्ष तक इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाना चाहिए.
नीति की अधिसूचना से आखिरकार टेस्ला जैसी कार निर्माता कंपनियों के लिए दरवाजे खुल जाने चाहिए, जिसने पहले ही भारत में प्रवेश की पुष्टि कर दी है. इससे कार निर्माता के आयातित ईवी को भारत में प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलेगी, भले ही वे सीबीयू आयातित हों, जबकि यह अपने स्थानीय असेंबली संचालन शुरू करने की योजना बना रहा है.